झाला मन्ना का त्याग

झाला मन्ना का त्याग

बलिदान हुए इन वीरों के वो शौर्य पताके कहाँ गये,
जो रजपूती इतिहासों के थे अमर कथा से कहाँ गये ।
अब हमें पढ़ाया जाता है अकबर महान और शाहजहाँ,
मैं पूछ रहा राणा प्रताप कुम्भा चूड़ावत कहाँ गये ।।

चित्तौड़ चीख के पूछ रहा वो युद्ध दीवानी कहा गयी
कहाँ गयीं माता पद्मा वो हाणी रानी कहा गयीं।।
सिर कट गया लड़े फिर भी वो गोरा बादल कहाँ गएँ
कहाँ गये राणा सांगा बप्पा शेरावल कहाँ गयें ।।

मैं खून महाराणा प्रताप का खोज रहा उनके निशान,
मैं खोज रहा पन्ना का त्याग मैं खोज रहा झाला महान।।
पर इन पन्नों में सिर्फ मुगलई शान क़सीदा पढ़ा गया
अंग्रेज़ों के आदेशों पर ही इतिहासों को गढ़ा गया ।। 

क्या याद है हल्दीघाटी के वो दो धारी तलवार अभी,
क्या याद है भाले के भय से मुग़लों के हाहाकार अभी।
जिसके एकमात्र देखने से ही खून सूख जाता तन का,
क्या याद है राणा के सर पर सजने वाली दस्तार अभी ।।

पूरी दिल्ली हिल गयी कलेजा भी अकबर का दहला था,
मुगलई हुकूमत के ख़िलाफ़ राणा का गर्जन पहला था।।
आदेशित था वह मानसिंह चितौड़ पर झंडा गाड़ेगा,
भेज कर गीदड़ों की सेना सोचा था शेर को मारेगा।।

सुनता हूँ हल्दीघाटी के कण कण की चढ़ी जवानी थी
भालों की  तलवारों की अश्वों की अलग कहानी थी ।
वह चेतक नाम का घोड़ा था जो रिपु के जय में बाधा था,
राणा के दिल की धड़कन से अपनी आंखों को साधा था।।

चढ़ता जाता  अरिमस्तक पर गर्जना शेर सा करता था,
अपने लाघव को दिखा दिखा सेना में साहस भरता था।
वह चेतक था संग्राम भूमि पर रणचंडी सा नाच रहा,
अपने टापों के कौशल से भावी इतिहास को बांच रहा ।।

जब राणा पड़ा अकेला था शोणितमय हल्दीघाटी थी,
तब आया था झाला मन्ना राणा जैसी कद काठी थी ।
आंखें विस्मित हो देख रही, चितौड़ राज अलबेला था
थी भीड़ हज़ारों मुगलों की राणा लड़ रहा अकेला था ।।

झाला ने फिर हुंकार भरा, बलिदान नही रुकने दूँगा ।
मुग़लों की छाती चीरूँगा मेवाड़ नही झुकने दूँगा ।।
दस्तार छीन कर राणा का ले धर्म ध्वजा सरदार चला,
मुगलों ने समझ उसे राणा सैकड़ों तीर तलवार चला ।।

कर एकलिंग का अभिवादन वह वीर हुआ मतवाला था,
वो आग दिखायी मुगलों को जिसको अंतस में पाला था।
काटता हुआ रणविपिन छुब्ध, जय बोला माता करणी की,
मुगलों के सिर को काट काट के प्यास बुझाया धरणी की ।।

घिर गया हज़ारों मुगलों से पर महाव्रती सा आप्त हुआ,
राणा बन उनका मान रखा फिर वीरगती को प्राप्त हुआ ।।

- राणा माधवेन्द्र प्रताप सिंह "शिशोदिया"  

Comments

  1. Replies
    1. Thank you so much aparna ji 💓💓🍫🍫💐💐❤️❤️

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  2. Adbhut rachana h ye rongate khade ho gye pdte huye......🙏🙏🙏

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  3. All the best Rana ji👍
    Superb
    Very nice👌👌🥳🥳

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  4. बेहद उत्कृष्ट रचना वीर रस और राजपुताना शौर्य से परिपूर्ण शिशौदिया जी🙏🌺

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